Rudrashtakam Lyrics in Hindi | रुद्राष्टकम लिरिक्स और अर्थ

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Shri Rudrashtakam Lyrics: In Sanatana Dharma, Lord Shiva Shankar has the highest position among all the gods. It is believed that Lord Shiva is easily pleased. He becomes pleased even if a devotee offers him even just a glass of water with devotion. That’s why he is also called Bholenath. If you want to get the special blessings of Lord Shiva, you should recite ‘Shri Shiva Rudrashtakam’. ‘Shiva Rudrashtakam’ is a wonderful praise in itself. If any enemy is troubling you, then sitting on the seat of Kusha in a Shiva temple or at home, reciting ‘Rudrashtakam’ praise continuously for 7 days in the morning and evening, Shiva destroys the biggest enemies in a moment and forever. He protects his devotees. According to the Ramayana, Maryada Purushottam Lord Shri Ram established a Shivling in Rameshwaram and recited the Rudrashtakam praise with devotion to win over a fierce enemy like Ravana, and as a result, Ravana was killed by the grace of Shiva. Here Shri Shiv Rudrashtakam Stuti and Hindi meaning are given, with the help of which you can recite it….

Rudrashtakam Lyrics Details

  • Title – Shiva Rudrashtakam Stotram
  • SINGER – Sneha Singh
  • MUSIC – Samarpit Golani
  • Lyricist – Traditional
  • Album – Sacred Mantras Bhajans Vol 2

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#Shiva Rudrashtakam Stotram with Lyrics - Namami Shamishan Nirvan Roopam | @SpiritualMantra
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Rudrashtakam Lyrics in English

Namaam-Iisham-Iishaana Nirvaanna-Rupam
Vibhum Vyaapakam Brahma-Veda-Svarupam ।
Nijam Nirgunnam Nirvikalpam Niriiham
Cidaakaasham-Aakaasha-Vaasam Bhaje-Aham ॥1॥

Niraakaaram-Ongkara-Muulam Turiiyam
Giraa-Jnyaana-Go-Atiitam-Iisham Giriisham
Karaalam Mahaakaala-Kaalam Krpaalam
Gunna-Aagaara-Samsaara-Paaram Nato-Aham ॥2॥

Tussaara-Adri-Samkaasha-Gauram Gabhiram
Mano-Bhuuta-Kotti-Prabhaa-Shrii Shariiram ।
Sphuran-Mauli-Kallolinii Caaru-Ganggaa
Lasad-Bhaala-Baale-Indu Kanntthe Bhujanggaa ॥3॥

Calat-Kunnddalam Bhruu-Sunetram Vishaalam
Prasanna-Aananam Niila-Kannttham Dayaalam ।
Mrga-Adhiisha-Carma-Ambaram Munndda-Maalam
Priyam Shangkaram Sarva-Naatham Bhajaami ॥4॥

Pracannddam Prakrssttam Pragalbham Pare-Iisham
Akhannddam Ajam Bhaanu-Kotti-Prakaasham ।
Tryah-Shuula-Nirmuulanam Shuula-Paannim
Bhaje-Aham Bhavaanii-Patim Bhaava-Gamyam ॥5॥

Kalaatiita-Kalyaanna Kalpa-Anta-Kaarii
Sadaa Sajjana-Aananda-Daataa Pura-Arii ।
Cid-Aananda-Samdoha Moha-Apahaarii
Prasiida Prasiida Prabho Manmatha-Arii ॥6॥

Na Yaavad Umaa-Naatha-Paada-Aravindam
Bhajanti-Iha Loke Pare Vaa Naraannaam ।
Na Taavat-Sukham Shaanti Santaapa-Naasham
Prasiida Prabho Sarva-Bhuuta-Adhi-Vaasam ॥7॥

Na Jaanaami Yogam Japam Naiva Puujaam
Natoham Sadaa Sarvadaa Shambhu-Tubhyam ।
Jaraa-Janma-Duhkhau-Agha Taatapyamaanam
Prabho Paahi Aapanna-Maam-Iisha Shambho ॥8॥

Rudraassttaka-Idam Proktam Viprenna Hara-Tossaye ।
Ye Patthanti Naraa Bhaktyaa Tessaam Shambhuh Prasiidati ॥

॥ Eti Shri Goswami Tulasidas Kratm Shri Rudrashtakam Sampoornam ॥

Rudrashtakam Lyrics in Hindi

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥

प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।। 

॥  इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥

Rudrashtakam Lyrics Meaning In Hindi | रुद्राष्टकम लिरिक्स और अर्थ

हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और सबके स्वामी शिवजी, मैं आपको नमस्कार करता हूं। निज स्वरूप में स्थित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप शिवजी मैं आपको नमस्कार करता हूं।

निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे परमेशवर को मैं नमस्कार करता हूं।

जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गंभीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिर पर सुंदर नदी गंगाजी विराजमान हैं, जिनके ललाट पर द्वितीया का चंद्रमा और गले में सर्प सुशोभित है।

जिनके कानों में कुंडल शोभा पा रहे हैं। सुंदर भृकुटी और विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्न मुख, नीलकंठ और दयालु हैं। सिंह चर्म का वस्त्र धारण किए और मुण्डमाल पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके नाथ श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।

प्रचंड, श्रेष्ठ तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्य के समान प्रकाश वाले, तीनों प्रकार के शूलों को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किए, भाव के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।

कलाओं से परे, कल्याण स्वरूप, प्रलय करने वाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर के शत्रु, सच्चिदानन्दघन, मोह को हरने वाले, मन को मथ डालनेवाले हे प्रभो, प्रसन्न होइए, प्रसन्न होइए।

जब तक मनुष्य श्री पार्वतीजी के पति के चरणकमलों को नहीं भजते, तब तक उन्हें न तो इस लोक में, न ही परलोक में सुख-शांति मिलती है और अनके कष्टों का भी नाश नहीं होता है। अत: हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले प्रभो, प्रसन्न होइए।

मैं न तो योग जानता हूं, न जप और न पूजा ही। हे शम्भो, मैं तो सदा-सर्वदा आप को ही नमस्कार करता हूं। हे प्रभो! बुढ़ापा तथा जन्म के दुख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दुखों से रक्षा कीजिए। हे शंभो, मैं आपको नमस्कार करता हूं।

जो भी मनुष्य इस स्तोत्र को भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं, उन पर भोलेनाथ विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।

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